महात्मा गांधी के परिवार की जानकारी
महात्मा गांधी के पिता, करमचंद उत्तमचंद गांधी (1822-1885), पोरबंदर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) थे। वे कुटियाना गाँव से आए थे और राज्य प्रशासन में एक क्लर्क के रूप में काम शुरू किया, लेकिन एक कुशल मुख्यमंत्री बने। करमचंद ने चार शादियाँ कीं; उनकी पहली दो पत्नियाँ कम उम्र में ही चल बसीं और तीसरी शादी निःसंतान रही। 1857 में उन्होंने पुतलीबाई से विवाह किया, जिनसे उनके चार बच्चे हुए, जिनमें मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) भी शामिल थे, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था।
महात्मा गांधी अपने माता-पिता, करमचंद गांधी और पुतलीबाई, के चार बच्चों में तीसरे स्थान पर थे। उनके तीन भाई-बहन थे:
लक्ष्मीदास गांधी (लगभग 1860-1914) - सबसे बड़े भाई
करसनदास गांधी (लगभग 1866-1913) - दूसरे भाई
मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) - तीसरे नंबर पर
रालियातबेन - सबसे छोटी बहन
महात्मा गांधी ने शादी कब हुई थी ? और उनके कितने बच्चे थे ?
(1869-1944), महात्मा गांधी की पत्नी जो भारत में बा के नाम से विख्यात है। कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् 1869 ई. में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था।
13 साल की उम्र में मोहनदास करमचंद गांधी के साथ 7 फेरे लेने वालीं कस्तूरबा दरअसल, 6 महीने बड़ी थीं। ऐसा कहा जाता है कि शादी के बाद कस्तूरबा जितनी संजीदा हो गई, उससे पहले बचपन-किशोर उम्र में बहुत ज्यादा नटखट थी
महात्मा गांधी के 4 बेटे हरीलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी और मनीलाल गांधी थे
महात्मा गांधी की शिक्षा का सफर इस प्रकार था:
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प्रारंभिक शिक्षा: गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई। वे एक औसत छात्र थे, और उनका शुरुआती स्कूल जीवन विशेष रूप से उल्लेखनीय नहीं था। उन्होंने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की।
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कॉलेज की पढ़ाई: मैट्रिक के बाद, 1888 में गांधी जी ने भावनगर के श्यामलदास कॉलेज (अब सामलदास आर्ट्स कॉलेज) में प्रवेश लिया, लेकिन स्वास्थ्य और पारिवारिक कारणों से वह पढ़ाई पूरी नहीं कर सके।
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लंदन में वकालत की पढ़ाई: गांधी जी ने 1888 में ही इंग्लैंड के लंदन जाकर कानून की पढ़ाई करने का निर्णय लिया। वहां उन्होंने 'इनर टेम्पल' लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और 1891 में बैरिस्टर (वकील) की डिग्री हासिल की। गांधी जी ने इंग्लैंड में रहते हुए पश्चिमी जीवनशैली, भोजन और रहन-सहन के तरीकों से संघर्ष किया, लेकिन वे अंततः एक बैरिस्टर के रूप में सफल हुए।
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वकालत का आरंभ: 1891 में भारत लौटकर गांधी जी ने वकालत शुरू की, लेकिन शुरुआत में उन्हें खास सफलता नहीं मिली। 1893 में वे एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उनकी वकालत के साथ-साथ राजनीतिक जागरूकता की यात्रा भी शुरू हुई। यहीं से उन्होंने नस्लीय भेदभाव और अन्याय के खिलाफ संघर्ष की नींव रखी।
इस प्रकार, गांधी जी की शिक्षा ने न केवल उन्हें वकील बनाया, बल्कि उनके व्यक्तित्व और विचारधारा को भी आकार दिया।
महात्मा गांधी के राजनैतिक गुरु कौन थे ?
गोपाल कृष्ण गोखले उदारवादी नेता थे। गोखले साध्य एवं साधन दोनों की पवित्रता में विश्वास करते थे। इसी विचार से प्रेरित होकर गाँधीजी ने उन्हें अपना गुरु बना लिया था
महात्मा गाँधी जी ने कौन कौन से आंदोलन अंग्रेज के खिलाफ शरू किए थे
1917 में चंपारण आंदोलन, 1918 में खेड़ा आंदोलन, 1919 में खिलाफत आंदोलन, 1920 में असहयोग आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन सभी महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movements of Mahatma Gandhi in Hindi) का हिस्सा थे |
मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा कैसे बने ?
“महात्मा” की उपाधि उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर ने प्रदान की थी । हालांकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार गांधी जी को सबसे पहली बार 1915 में वैद्य जीवन राम कालिदास ने 'महात्मा' कहकर संबोधित किया था ।
महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कैसे बने ?
4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया। बाद में इसे भारत सरकार द्वारा भी स्वीकार किया गया। गांधी जी के निधन के पश्चात, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "राष्ट्रपिता अब हमारे बीच नहीं रहे।"